Do you know how vast the size of the universe is 2025

ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं की विशालता और विविधता The vastness and diversity of galaxies in the universe)

ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं की विशालता और विविधता The vastness and diversity of galaxies in the universe)

universe facts

आकाशगंगा क्या होती है(What is a galaxy)?

एक आकाशगंगा (Galaxy) तारों, गैस, धूल, ब्लैक होल और डार्क मैटर का एक विशाल समुच्चय होती है, जिसे गुरुत्वाकर्षण शक्ति एक साथ बांध कर रखती है। हर आकाशगंगा में लाखों से लेकर अरबों तक तारे हो सकते हैं, जिनमें से कई के अपने ग्रह, चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंड होते हैं।

मिल्की वे: हमारी आकाशगंगा

हमारी पृथ्वी जिस आकाशगंगा का हिस्सा है, उसे मिल्की वे (Milky Way) या मन्दाकिनी कहा जाता है। यह एक सर्पिल आकार की आकाशगंगा है, जिसका व्यास लगभग 1 लाख प्रकाश-वर्ष (Light Years) है। मिल्की वे में लगभग 100 से 400 अरब तारे हैं। हमारा सौरमंडल इस आकाशगंगा की एक बाहरी भुजा पर स्थित है, और सूर्य इसके केंद्र की परिक्रमा कर रहा है।


गैलेक्सी के प्रकार(Types of Galaxy)

हबल ने आकाशगंगाओं को उनके आकार और बनावट के आधार पर मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया:

  1. सर्पिल आकाशगंगाएँ (Spiral Galaxies):
    • गोल केंद्र और घूमती हुई भुजाएँ होती हैं।
    • इनमें तारा निर्माण सक्रिय रूप से होता है।
    • मिल्की वे और एंड्रोमेडा इसी श्रेणी में आती हैं।
  2. दीर्घवृत्तीय आकाशगंगाएँ (Elliptical Galaxies):
    • अंडाकार आकार की होती हैं।
    • इनमें पुराने तारे होते हैं और बहुत कम गैस होती है।
    • इनमें नया तारा निर्माण नहीं होता।
  3. अनियमित आकाशगंगाएँ (Irregular Galaxies):
    • इनमें कोई निश्चित आकार नहीं होता।
    • ये अक्सर बड़ी आकाशगंगाओं के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से विकृत हो जाती हैं।

ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं की संख्या

नासा की हबल टेलीस्कोप से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ब्रह्मांड में पहले माना जाता था कि लगभग 100 से 200 अरब आकाशगंगाएँ हैं। लेकिन नवीनतम रिसर्च में यह संख्या 2 ट्रिलियन (2 खरब) तक आंकी गई है। ये आकाशगंगाएँ अलग-अलग दूरी, आयु, आकार और संरचना की हैं।


हमारी पड़ोसी गैलेक्सी – एंड्रोमेडा

एंड्रोमेडा (Andromeda Galaxy) हमारी सबसे करीबी और सबसे बड़ी पड़ोसी आकाशगंगा है। यह मिल्की वे से लगभग 25 लाख प्रकाश-वर्ष दूर है और इसमें भी लगभग 1 ट्रिलियन तारे हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि लगभग 4.5 अरब वर्षों में मिल्की वे और एंड्रोमेडा आपस में टकरा सकती हैं और एक नई विशाल आकाशगंगा बना सकती हैं।


गैलेक्सियों का टकराव – कॉस्मिक डांस

ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं के बीच टकराव एक सामान्य घटना है। जब दो आकाशगंगाएँ एक-दूसरे के नजदीक आती हैं, तो उनका गुरुत्वाकर्षण उन्हें एक-दूसरे की ओर खींचता है और अंततः वे आपस में विलीन हो जाती हैं। इस प्रक्रिया को गैलेक्सीय मर्जर (Galactic Merger) कहा जाता है। इस मर्जर के दौरान नए तारे बनते हैं, गैस बादल टकराते हैं और कभी-कभी ब्लैक होल सक्रिय हो जाते हैं।


आकाशगंगाओं का महत्व

आकाशगंगाएँ ब्रह्मांड की बुनियादी इकाइयाँ हैं। वे तारा निर्माण, खगोलीय जीवन की संभावना और ब्रह्मांडीय विकास में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं। हर आकाशगंगा में एक विशाल सुपरमैसिव ब्लैक होल होता है, जो उसकी गति और संरचना को नियंत्रित करता है। मिल्की वे के केंद्र में भी “सैजिटेरियस A*” नामक एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है।

वैज्ञानिक अध्ययन और टेलिस्कोप की भूमिका

आकाशगंगाओं का अध्ययन अत्याधुनिक टेलिस्कोप्स जैसे हबल (Hubble), जेम्स वेब (James Webb), और रेडियो टेलिस्कोप्स की मदद से किया जाता है। ये उपकरण हमें दूर स्थित आकाशगंगाओं की संरचना, रासायनिक तत्व, तारा निर्माण दर और विस्तार को जानने में सहायता करते हैं। आने वाले वर्षों में यह अध्ययन ब्रह्मांड की उत्पत्ति और डार्क मैटर के रहस्यों को उजागर कर सकता है।

महत्वपूर्ण बिंदु (Key Takeaways):

  • ब्रह्मांड में लगभग 2 ट्रिलियन आकाशगंगाएँ हो सकती हैं।
  • मिल्की वे हमारी आकाशगंगा है, जिसमें 100–400 अरब तारे हैं।
  • गैलेक्सियाँ मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं – सर्पिल, दीर्घवृत्तीय, और अनियमित।
  • एंड्रोमेडा हमारी सबसे करीबी और सबसे बड़ी पड़ोसी गैलेक्सी है।
  • गैलेक्सी मर्जर ब्रह्मांड में सामान्य प्रक्रिया है और इससे नए तारों का जन्म होता है।

Some Important Points We know today

  • ब्रह्मांड में आकाशगंगाएँ
  • गैलेक्सी क्या है
  • मिल्की वे की जानकारी
  • एंड्रोमेडा गैलेक्सी
  • ब्रह्मांड का आकार
  • गैलेक्सी के प्रकार

1. ब्रह्मांड में आकाशगंगाएँ

ब्रह्मांड एक विशाल और रहस्यमयी स्थान है, जिसमें अरबों-खरबों आकाशगंगाएँ मौजूद हैं। आकाशगंगा (Galaxy) वह संरचना है जिसमें असंख्य तारे, गैस, धूल, ग्रह, उल्का पिंड और अंधकारमय पदार्थ (डार्क मैटर) एक गुरुत्वाकर्षण शक्ति के तहत एकत्रित होते हैं। प्रत्येक आकाशगंगा में लाखों से लेकर अरबों तारे हो सकते हैं। ब्रह्मांड में इतनी अधिक संख्या में आकाशगंगाएँ हैं कि एक अनुमान के अनुसार ब्रह्मांड में लगभग 200 अरब आकाशगंगाएँ हैं।

इन आकाशगंगाओं की बनावट, आकार और संरचना में विविधता होती है। कुछ सर्पिल (spiral), कुछ अण्डाकार (elliptical) और कुछ अनियमित (irregular) होती हैं। आकाशगंगाएँ ब्रह्मांडीय विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं क्योंकि इन्हीं में तारे बनते और नष्ट होते हैं।

ब्रह्मांड के विकास की प्रक्रिया में आकाशगंगाओं की उत्पत्ति बिग बैंग (महाविस्फोट) के बाद हुई। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब ब्रह्मांड का तापमान घटा तो पदार्थ गुरुत्व बल के कारण एकत्र होने लगे और धीरे-धीरे आकाशगंगाएँ बनीं।

हबल स्पेस टेलीस्कोप और अन्य आधुनिक तकनीकों की मदद से वैज्ञानिक आज नई-नई आकाशगंगाओं की खोज कर रहे हैं। प्रत्येक आकाशगंगा की अपनी गति होती है और वे ब्रह्मांड में एक-दूसरे से दूर जा रही हैं, जिससे ब्रह्मांड के विस्तार की पुष्टि होती है।

ब्रह्मांड की इस महागाथा में आकाशगंगाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यही तारों और ग्रहों का घर हैं – और इनमें से ही एक हमारी “मिल्की वे” है।


2. गैलेक्सी क्या है?

गैलेक्सी (Galaxy), जिसे हिंदी में ‘आकाशगंगा’ कहा जाता है, ब्रह्मांड की एक विशाल संरचना है जिसमें तारे, ग्रह, गैस, धूल, डार्क मैटर और अन्य खगोलीय वस्तुएँ एक साथ गुरुत्व बल द्वारा बंधी होती हैं। सरल शब्दों में कहें तो गैलेक्सी तारों का एक विशाल झुंड है, जो एक केंद्रीय केंद्र के चारों ओर घूमता है।

गैलेक्सियाँ कई प्रकार की हो सकती हैं – जैसे सर्पिल (Spiral), अण्डाकार (Elliptical), और अनियमित (Irregular)। सर्पिल गैलेक्सी में भुजाएँ होती हैं जो एक केंद्रीय बल्बस नाभि के चारों ओर घूमती हैं – हमारी गैलेक्सी मिल्की वे इसी प्रकार की है। अण्डाकार गैलेक्सी अंडे के आकार की होती है और इनमें नई तारों की संरचना बहुत कम होती है। वहीं, अनियमित गैलेक्सी किसी विशेष आकार की नहीं होती और अक्सर इनका निर्माण टकराव या गुरुत्वाकर्षण विकृति के कारण होता है।

गैलेक्सियाँ ब्रह्मांड के निर्माण और विकास की महत्वपूर्ण इकाइयाँ हैं। हर गैलेक्सी के केंद्र में अक्सर एक सुपरमैसिव ब्लैक होल पाया जाता है, जो उसकी संरचना और गतिविधियों को प्रभावित करता है।

विज्ञान की दृष्टि से, गैलेक्सियाँ न केवल तारों और ग्रहों का घर होती हैं, बल्कि इनमें से कई में जीवन के संभावित अवशेष भी हो सकते हैं। इसलिए, खगोलशास्त्री गैलेक्सियों का अध्ययन करके ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विस्तार और जीवन की संभावना को समझने का प्रयास करते हैं।


3. मिल्की वे की जानकारी

मिल्की वे (Milky Way), जिसे हिंदी में “दुग्धमेखला” या “आकाशगंगा” कहा जाता है, हमारी सौर प्रणाली की गैलेक्सी है। यह एक सर्पिल गैलेक्सी है, जिसका आकार एक चपटे डिस्क जैसा होता है जिसमें सर्पिल भुजाएँ होती हैं।

मिल्की वे में लगभग 100 से 400 अरब तारे हैं और इसका व्यास लगभग 1 लाख प्रकाश वर्ष (light years) तक फैला हुआ है। सूर्य, जो हमारे सौरमंडल का केंद्र है, मिल्की वे की एक सर्पिल भुजा – ‘ओरियन आर्म’ – में स्थित है। सूर्य मिल्की वे के केंद्र के चारों ओर लगभग 2.5 करोड़ वर्षों में एक परिक्रमा पूरी करता है।

मिल्की वे का केंद्र अत्यधिक घना और ऊर्जावान है, जिसमें “सैजिटेरियस A*” नामक एक सुपरमैसिव ब्लैक होल मौजूद है। यह ब्लैक होल मिल्की वे के गुरुत्व बल का केंद्र है, और इसके प्रभाव में ही सभी तारे और अन्य खगोलीय पिंड घूमते हैं।

रात के समय जब हम खुले आकाश में तारों का गुच्छा देखते हैं जो एक दूधिया पट्टी जैसा दिखाई देता है, तो वह वास्तव में हमारी आकाशगंगा का एक दृश्य है – इसलिए इसे “दुग्धमेखला” कहा जाता है।

मिल्की वे ब्रह्मांड की अरबों गैलेक्सियों में से एक है, लेकिन हमारे लिए यह सबसे खास है क्योंकि यही हमारा खगोलीय घर है। वैज्ञानिक इस गैलेक्सी के विभिन्न हिस्सों का अध्ययन कर यह समझने की कोशिश करते हैं कि तारे कैसे जन्मते हैं, ग्रह कैसे बनते हैं और जीवन की उत्पत्ति कैसे संभव होती है।


4. एंड्रोमेडा गैलेक्सी

एंड्रोमेडा गैलेक्सी (Andromeda Galaxy), जिसे M31 भी कहा जाता है, ब्रह्मांड की एक विशाल और सुंदर सर्पिल (spiral) गैलेक्सी है। यह पृथ्वी से लगभग 25 लाख प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है और नग्न आंखों से दिखाई देने वाली सबसे दूर की गैलेक्सी है।

एंड्रोमेडा का आकार मिल्की वे से कुछ बड़ा है। इसमें लगभग एक ट्रिलियन (एक लाख करोड़) तारे हैं, जबकि मिल्की वे में 100 से 400 अरब तारे हैं। इसकी व्यास भी मिल्की वे से थोड़ा अधिक है – लगभग 2.2 लाख प्रकाश वर्ष।

एंड्रोमेडा और मिल्की वे दोनों स्थानीय समूह (Local Group) की दो सबसे बड़ी आकाशगंगाएँ हैं। स्थानीय समूह में लगभग 54 गैलेक्सियाँ हैं, लेकिन इनमें सबसे अधिक द्रव्यमान एंड्रोमेडा और मिल्की वे का है।

एक वैज्ञानिक तथ्य यह है कि एंड्रोमेडा और मिल्की वे आपस में धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर बढ़ रही हैं। दोनों गैलेक्सियाँ लगभग 110 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से एक-दूसरे की ओर खिंच रही हैं और एक अनुमान के अनुसार 4 से 5 अरब वर्षों में ये टकराएँगी और एक नई विशाल गैलेक्सी में विलीन हो जाएँगी, जिसे वैज्ञानिक Milkomeda नाम से संबोधित करते हैं।

एंड्रोमेडा का अध्ययन खगोलशास्त्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे गैलेक्सी के विकास, टकराव और ब्रह्मांड की संरचना को समझने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह हमें हमारे आकाशीय पड़ोस की बेहतर समझ भी प्रदान करती है।


5. ब्रह्मांड का आकार

ब्रह्मांड (Universe) का आकार एक अत्यंत जटिल और रहस्यमयी विषय है, जिसे आज भी पूरी तरह से नहीं समझा जा सका है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्रह्मांड लगभग 13.8 अरब वर्ष पहले ‘बिग बैंग’ नामक महाविस्फोट से उत्पन्न हुआ था। इस घटना के बाद से ब्रह्मांड निरंतर फैल रहा है, और इसका कोई निश्चित किनारा नहीं है।

ब्रह्मांड का आकार “सम्भवत: अनंत” है, लेकिन यह कहना कठिन है क्योंकि हम केवल “प्रेक्षणीय ब्रह्मांड” (Observable Universe) तक ही सीमित हैं – यानी वह भाग जिसे हम प्रकाश के माध्यम से देख सकते हैं। इस प्रेक्षणीय ब्रह्मांड का व्यास लगभग 93 अरब प्रकाश-वर्ष है।

हालांकि, इसके परे भी ब्रह्मांड फैला हो सकता है, लेकिन वह हमारे देखने की सीमा के बाहर है क्योंकि प्रकाश अभी तक वहाँ से हम तक नहीं पहुंच पाया है। ब्रह्मांड की संरचना समरूप (homogeneous) और समदिश (isotropic) मानी जाती है – अर्थात् हर दिशा में लगभग समान।

ब्रह्मांड का आकार और उसका भविष्य “डार्क एनर्जी” और “डार्क मैटर” से गहराई से जुड़ा है। डार्क एनर्जी वह रहस्यमयी शक्ति है जो ब्रह्मांड के विस्तार को तेज कर रही है, जबकि डार्क मैटर गुरुत्वाकर्षण बनाए रखने में मदद करती है।

आज भी वैज्ञानिक यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि ब्रह्मांड सीमित है या असीमित, और इसका अंतिम स्वरूप क्या होगा। क्या यह हमेशा फैलता रहेगा या कभी सिकुड़ जाएगा – ये प्रश्न ब्रह्मांड के आकार से ही जुड़े हैं।


6. गैलेक्सी के प्रकार

गैलेक्सियाँ उनके आकार और संरचना के आधार पर विभिन्न प्रकारों में बाँटी जाती हैं। खगोलशास्त्री एडविन हबल ने 1920 के दशक में गैलेक्सियों का एक श्रेणीकरण प्रस्तुत किया जिसे “हबल वर्गीकरण” (Hubble Classification) कहा जाता है। इसके अनुसार मुख्यतः चार प्रकार की गैलेक्सियाँ होती हैं:

1. सर्पिल गैलेक्सी (Spiral Galaxy)

सर्पिल गैलेक्सी डिस्क के आकार की होती है, जिसमें एक केंद्रीय बल्ब और उससे निकलती हुई सर्पिल भुजाएँ होती हैं। इन भुजाओं में तारे, गैस और धूल केंद्र के चारों ओर घूमते रहते हैं। हमारी मिल्की वे और एंड्रोमेडा इसी प्रकार की गैलेक्सियाँ हैं। इनमें नए तारे बनने की प्रक्रिया भी चलती रहती है।

2. अण्डाकार गैलेक्सी (Elliptical Galaxy)

इनका आकार अंडे या गोले जैसा होता है और ये प्राचीन तारों से बनी होती हैं। इनमें गैस और धूल बहुत कम होती है, इसलिए नए तारे बनते नहीं हैं। ये गैलेक्सियाँ आकार में छोटी से लेकर विशाल तक हो सकती हैं।

3. अनियमित गैलेक्सी (Irregular Galaxy)

इनका कोई विशेष आकार नहीं होता। ये गैलेक्सियाँ टकराव या गुरुत्वाकर्षण विकृति के कारण अपनी सामान्य संरचना खो देती हैं। इनमें गैस और धूल की प्रचुरता के कारण तारों का निर्माण होता रहता है। मैगेलैनिक क्लाउड्स इसके उदाहरण हैं।

4. बार्ड सर्पिल गैलेक्सी (Barred Spiral Galaxy)

ये सर्पिल गैलेक्सी का ही एक रूप हैं, जिनके केंद्र से एक पट्टी (bar) निकलती है और भुजाएँ उस पट्टी से बाहर की ओर जाती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारी मिल्की वे भी एक बार्ड सर्पिल गैलेक्सी है।

इस वर्गीकरण से खगोलशास्त्री ब्रह्मांड में गैलेक्सियों की उत्पत्ति, विकास और उनकी संरचना को बेहतर समझ सकते हैं।

 

1.ब्रह्मांड की उत्पत्ति – बिग बैंग सिद्धांत (Big Bang Theory)?

2.मनुष्य का दिमाग – ब्रह्मांड की सबसे जटिल रचना?

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